Same Sex Marriage Verdict [OUT]: समलैंगिक शादी की मान्यता पर सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला, समलैंगिक शादी को मान्यता देने से किया इनकार

Same Sex Marriage Verdict [OUT]: पिछले कुछ समय से भारत में समलैंगिक विवाह को लेकर मुद्दा काफी गहराया हुआ है। ऐसे में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था । सुप्रीम कोर्ट ने भी मार्च – अप्रैल के महीने में 40 वकीलों के द्वारा पक्ष और विपक्ष की लंबी बहस सुनी इसके पश्चात 11 मई को याचिकाओं पर फैसला कर दिया गया। हाल ही में 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों के पैनल के अंतर्गत समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बाद एक बहुत बड़ा फैसला निपटा दिया है।

Same Sex Marriage Verdict: यह अदातल का नही संसद का फैसला

हाल ही में समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी मंजूरी मांग की मांग करने वाले कई याचिकाओं पर निपटारा कर दिया गया । वहीं जब विभिन्न संस्थाओं ने समलैंगिक विवाद के लिए कानूनी मंजूरी की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे अदालत का अधिकार न बताते हुए संसद का अधिकार बता दिया है।

5 जज के पैनल ने कहा: ट्रांसजेंडर होना जुर्म नही मगर इसपर कानून नही बन सकता

जानकारी के लिए बता दे सुप्रीम कोर्ट का समलैंगिक विवाह के मामले में यह कहना है कि यह अदालत का अधिकार नहीं है । कानूनी मंजूरी देना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है इसीलिए जब तक समलैंगिक विवाह के लिए संसद कोई मजबूत नियम नहीं बनती तब तक सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती । भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाय चंद्रचूड़ की अगवाई में कुछ समय पहले ही पांच न्यायाधीशों के पैनल ने 17 अक्टूबर को यह कहा था कि समलैंगिक का विवाह अयोग्य नहीं है । यह पूरी तरह से कानूनन मान्यता प्राप्त है। हालांकि समलैंगिकों के संबंध में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शादी करने का पूरा अधिकार है । कोई भी व्यक्ति इन्हें शादी के बंधन में बनने से नहीं रोक सकता। परंतु यदि इसे एक कानून बनाने की बात की जाए तो इस पर कोई भी अदालत कानून नहीं बना सकती। जब तक की संसद इस पर कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं सुनती।

Same Sex Marriage Verdict [OUT]

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश भर के काफी समलैंगिक जोड़ों को बड़ा झटका लगा है । देश भर के समलैंगिक जोड़े यह उम्मीद कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट अब समलैंगिक विवाह को अदालती जामा पहना देगा , परंतु इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि समलैंगिक विवाह पर केवल सरकार ही फैसला ले सकती है। हालांकि अदालत के इस फैसले पर सरकार की तरफ से फिलहाल किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। परंतु देश के लाखों समलैंगिक जोड़े सरकार की तरफ अब उम्मीद से देख रहे हैं।

भारत मे विवाह सामाजिक व्यवस्था है

 सुप्रीम कोर्ट के जज चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिक विवाह पर पैनल के जज में भी कुछ हद तक सहमति और सहमति थी। 5 जज के इस पैनल में से चार न्यायाधीश ने अलग-अलग फैसला सामने रखा था जिसकी वजह से मामला काफी जटिल है यह पता चला । ऐसे में इस पर कोई भी अदालत कानून नहीं बना सकती। हालांकि अदालत केवल इस नियम की व्याख्या कर सकती है और इसे लागू कर सकती है ,परंतु इसे कानून बनाने का अधिकार केवल संसद के पास है । वही जज ने यह भी बताया कि समलैंगिक होना किसी प्रकार का कोई जुर्म नहीं है ।

समलैंगिक की भावनात्मक जरूरतों पर विशेषज्ञ से हो बात

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जज ने समलैंगिक जोड़ों को नागरिकों के पक्ष पर छोड़ दिया है। पैनल के जजों का कहना है कि समलैंगिक समुदाय पर कोई भी फैसला लेना सही नहीं होगा। ऐसे में इस मुद्दे पर लोगों की सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक जरूरत को समझना काफी जरूरी है। इस मामले में किसी विशेषज्ञ से बात करना अधिक उत्तम होगा क्योंकि यह बेहद ही संवेदनशील मामला है इसीलिए इसमें भावनात्मक जरूरत को देखने के पश्चात थी  इस पर किसी प्रकार का कोई निर्णय लिया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दे 5 जज के पैनल में से चंद्रचूड़ और एक दूसरे न्यायाधीश ने समान लिंग के जोड़ों को मान्यता देने के लिए तैयार थे ,परंतु अन्य तीन न्यायाधीश इस फैसले पर सहमत नहीं हो रहे थे ।

वही तीन अन्य न्यायाधीश में से एक न्यायाधीश रविंद्र भट्ट ने कहा कि भारत में विवाह एक सामाजिक व्यवस्था है ऐसे में विवाह को हम मौलिक अधिकार नहीं बना सकते इसीलिए समलैंगिक विवाह पर बात करना ठीक नहीं होगा। वही एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्य यह फैसला सुनते ही निराश हो गए क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि इस बार अदालत उनके हक में कोई ना कोई बड़ा फैसला जरूर लेगी ।

Same Sex Marriage Verdict: भारत मे समलैंगिक विवाह का कानून बनाना काफी पेचीदा

जानकारी के लिए बता दे समलैंगिक विवाह एशिया में अभी तक कानून अधिकार में नहीं आया है। केवल ताइवान और नेपाल ही अभी तक इसकी अनुमति देते हैं । वहीं पश्चिम में समलैंगिक विवाह को पूरी तरह से कानूनी माना जाता है। ऐसे में भारत के कई समलैंगिक जोड़ों को यह उम्मीद थी कि भारत भी इसको लेकर कोई बड़ा फैसला जरूर करेगा । परंतु जैसा कि हम सब जानते हैं भारत में विवाह को एक सामाजिक व्यवस्था की तरह देखा जाता है जिसे काफी पवित्र रिश्ता माना जाता है । ऐसे में समलैंगिक विवाह को नागरिक किस नजरिये से देखेंगे और सरकार पर इसका किस तरह का प्रभाव पड़ेगा इन सारी बातों को देखते हुए फिलहाल अदालत ने इसे कानून बनाने से मना कर दिया है। कुल मिलाकर अब तो यह समय ही बताया कि आगे चलकर समलैंगिक जोड़ों के हक में सरकार क्या फैसला लेती है

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